उमपा प्रशासन का नायाब कारनामा रिश्वतखोर व अपात्र अधिकारी के हाथ में सौंपी मनपा की कमान !
सरकार की जीआर के नियमो को ताख पर दिया मलाईदार पोस्ट !
प्रमोशन यादि में अपने आप को क्लीनचिट बनाने की कोशिश का हुआ पर्दाफाश !
आयुक्त ने उपायुक्त मख्यालय को दिए मामले की जांच करने का आदेश !
उल्हासनगर -उल्हासनगर मनपा में पिछले कुछ समय से एक बाद एक अनोखे कारनामो का खुलासा सामने आ रहा है ऐसी ही कड़ी में हाल ही में भाई के नाम फर्जी वाड़ा लगभग 15 साल से नोकरी करने वाले का मामले पर्दाफाश हुआ फिर उसे जेल की हवा खाना पड़ा है . इसी कड़ी एक दूसरा मामले में एक अवैध बांधकाम ठेकेदार से एक अवैध निर्माण के मामले में रिश्वत लेते रंगेहात पकडे गए अधिकारी को अनधिकृत बांधकाम विरोधी पथक का प्रमुख पद देने का अनोखा कारनामा सामने आया है , ऐसे अपात्र कर्मचारी को अधिकारी पद देने वाले विवादित निर्णय से मनपा प्रशासन पर भी सवालिया निशान उठ खड़ा हुआ है. आने वाले समय में इसका जवाब प्रशासन को देना होगा !
बता दे दी कि उल्हानगर महानगरपालिका के मागासवर्गीय भरती घोटाला जैसे अनेक मामले का खुलासा हुआ था. कुछ दिनों पहले राजेंद्र अढांगले इस सफाई कर्मचारी ने अपने भाई के नाम 15 सालों से नोकरी करने का मामले का पर्दाफाश हुआ . इस मामले में अढांगले इनके विरुद्ध मामला दर्ज कराया गया और उसे जेल जाना पड़ा है. इस मामले में तत्कालीन मनपा के कुछ अधिकारियों की मिली भगत होने का भी मामला प्रकाश में आया है उन वरीष्ठ अधिकारी और कर्मचारियो जांच होना अभी बाकी है.ऐसे में मनपा के विवादित अधिकारी गणेश शिंपी को सहाय्यक आयुक्त और अनधिकृत बांधकाम निष्कासन प्रमुख की जबाबदारी देने से मनपा प्रशासन की कार्य प्रणाली पर भी सवालिया निशान लगने लगा . शिंपी का मूल पद यह स्टेनोग्राफर आहे . ये 8 / 5 / 2013 में मनपा के तत्कालीन आयुक्त बालाजी खतगावकर के पीए (स्वीय सचिव) पद पर काम करते समय ठाणे एंटीकरप्शन विभाग ठाणे ने इन पर कार्यवाई करते हुए 25 हजार की रिश्वत लेते रंगेहात गिरफ्तार किया था इनके साथ बिट मुकादम रिजवान शेमले इनको भी जाल बिछाकर 50 हजार की रिश्वत लेते पुलिस ने गिरफ्तार किया था. इस दरम्यान शिंपी को कुछ समय के लिए निलंबित किया गया था उसके कुछ समय बाद तत्कालिन मनपा आयुक्त मनोहर हिरे इनके कार्यकाल में गणेश शिंपी इनकी सहाय्यक आयुक्त पद पर बहाली किया गया इस दरम्यान इनके कार्यकाल के दरम्यान बड़े पैमाने इनके प्रभाग में हुए है ,अभी शिंपी के पास सहाय्यक आयुक्त और अवैध बांधकाम निष्कासन प्रमुख पद भी दिया गया है. इनको पद संभालने के बाद पूरे शहर में अवैध निर्माण बनाने में बड़े पैमाने पर तेजी आई है. यहा देखने वाली बात यह है कि महाराष्ट्र शासन निर्णय क्र निप्रआ -1111/प्र क्र 86 / 11 -अ प्रमाण के अनुसार जिस भी शासकीय अधिकारी / कर्मचारी विरुद्ध बेहिसाब संपत्ती प्रॉपर्टी, नैतिक अधःपतन, रिश्वतखोरी ,हत्या,या हत्या का प्रयास , बलात्कार ऐसे गंभीर मामले किसी पर भी फौजदारी मामले दर्ज हुए है और उन्हों इसकी वजह से निलंबित किया गया है और खटला / अपील / विभागीय चौकशी प्रलंबित होने के दरम्यान उसको पुनस्थापित करने निर्णय हुआ है तो ऐसे में ऐसे मामले के अधिकारी / कर्मचारी को ऐसा पद दिया जाय जहाँ पर अधिकारी का पब्लिक से जनसंपर्क या रिश्वत लेने की संभावना न बने ऐसे पदपर नियुक्ती दी जाय ऐसा महाराष्ट्र के जीआर में स्पष्ट लिखा है. ऐसे में मनपा के द्वारा ऐसे अधिकारी को मलाईदार पोस्ट देकर क्या साबित करना चाहती या इसके पीछे की मंशा भ्र्ष्टाचार को बढ़ावा देने का तो नही है क्यो गणेश शिंपी जिनकी मनपा में स्टेनोग्राफर इस पदपर नियुक्ती किया गया था यह पद एकांकी था इस पद पर काम करने वाले ब्यक्ति को दूसरा कोई पद कानून के हिसाब से नही दिया जा सकता है, ऐसे में अपने पद का इस्तेमाल कर रिश्वत लेते हुए रंगेहात पकड़ा गया है उसे शासन के जीआर के नियमो को ताख पर रखकर ऐसा मलाईदार पद देने की पीछे के कारण क्या है ! इनके प्रभाग अधिकारी पद पर बैठने के बाद से अवैध निर्माण का बड़े पैमाने से इतना स्पष्ट है कि रिश्वत का खेल कैसे हुआ है क्यो किसी काम पर कार्यवाई हुई भी तो फिर दूसरे दिन बनकर खड़े हो गए है . शिंपी का मामला न्यायलय में चल रहा है फिर कर्मचारियों की प्रमोशन यादि में इसका उल्लेख ही नही किया गया यह दर्शाता है कही क्लीन चिट देने का षणयंत्र नही किया गया है . जब इस मामले में मनपा आयुक्त गणेश पाटील से पत्रकारो ने सवाल किया तो उन्होंने इस विषय मे पत्रकारों के सामने मुख्यालय उपायुक्त संतोष देहरकर और सामान्य प्रशासन के वरीष्ठ लिपिक अच्युत सासे इनको पूछा ये कैसे हुआ ये दोनों ने इसका उत्तर में बताया कि प्रिंटिंग मिस्टेक की वजह ऐसा बताकर मामले को टालमटोल करने की कोशिश करते दिखे .इसके बाद आयुक्त ने पूरे मामले की जांच करके रिपोर्ट देनी बात देयरकर को कही है. अब सवाल यह है कि क्या ऐसे ब्यक्ति को मलाईदार पोस्ट पर बैठाने के पीछे मनपा के किसी बड़े अधिकारी की मिली भगत तो नही क्यो इस पद के जरिये पूरे शहर के अवैध बांधकाम से मोटी आमदनी होती है यह भी सत्य है क्यो इससे पहले मनपा की महासभा इस पद को लेकर भ्र्ष्टाचार को लेकर बड़ा हंगामा हो चुका है !
सरकार की जीआर के नियमो को ताख पर दिया मलाईदार पोस्ट !
प्रमोशन यादि में अपने आप को क्लीनचिट बनाने की कोशिश का हुआ पर्दाफाश !
आयुक्त ने उपायुक्त मख्यालय को दिए मामले की जांच करने का आदेश !
उल्हासनगर -उल्हासनगर मनपा में पिछले कुछ समय से एक बाद एक अनोखे कारनामो का खुलासा सामने आ रहा है ऐसी ही कड़ी में हाल ही में भाई के नाम फर्जी वाड़ा लगभग 15 साल से नोकरी करने वाले का मामले पर्दाफाश हुआ फिर उसे जेल की हवा खाना पड़ा है . इसी कड़ी एक दूसरा मामले में एक अवैध बांधकाम ठेकेदार से एक अवैध निर्माण के मामले में रिश्वत लेते रंगेहात पकडे गए अधिकारी को अनधिकृत बांधकाम विरोधी पथक का प्रमुख पद देने का अनोखा कारनामा सामने आया है , ऐसे अपात्र कर्मचारी को अधिकारी पद देने वाले विवादित निर्णय से मनपा प्रशासन पर भी सवालिया निशान उठ खड़ा हुआ है. आने वाले समय में इसका जवाब प्रशासन को देना होगा !
बता दे दी कि उल्हानगर महानगरपालिका के मागासवर्गीय भरती घोटाला जैसे अनेक मामले का खुलासा हुआ था. कुछ दिनों पहले राजेंद्र अढांगले इस सफाई कर्मचारी ने अपने भाई के नाम 15 सालों से नोकरी करने का मामले का पर्दाफाश हुआ . इस मामले में अढांगले इनके विरुद्ध मामला दर्ज कराया गया और उसे जेल जाना पड़ा है. इस मामले में तत्कालीन मनपा के कुछ अधिकारियों की मिली भगत होने का भी मामला प्रकाश में आया है उन वरीष्ठ अधिकारी और कर्मचारियो जांच होना अभी बाकी है.ऐसे में मनपा के विवादित अधिकारी गणेश शिंपी को सहाय्यक आयुक्त और अनधिकृत बांधकाम निष्कासन प्रमुख की जबाबदारी देने से मनपा प्रशासन की कार्य प्रणाली पर भी सवालिया निशान लगने लगा . शिंपी का मूल पद यह स्टेनोग्राफर आहे . ये 8 / 5 / 2013 में मनपा के तत्कालीन आयुक्त बालाजी खतगावकर के पीए (स्वीय सचिव) पद पर काम करते समय ठाणे एंटीकरप्शन विभाग ठाणे ने इन पर कार्यवाई करते हुए 25 हजार की रिश्वत लेते रंगेहात गिरफ्तार किया था इनके साथ बिट मुकादम रिजवान शेमले इनको भी जाल बिछाकर 50 हजार की रिश्वत लेते पुलिस ने गिरफ्तार किया था. इस दरम्यान शिंपी को कुछ समय के लिए निलंबित किया गया था उसके कुछ समय बाद तत्कालिन मनपा आयुक्त मनोहर हिरे इनके कार्यकाल में गणेश शिंपी इनकी सहाय्यक आयुक्त पद पर बहाली किया गया इस दरम्यान इनके कार्यकाल के दरम्यान बड़े पैमाने इनके प्रभाग में हुए है ,अभी शिंपी के पास सहाय्यक आयुक्त और अवैध बांधकाम निष्कासन प्रमुख पद भी दिया गया है. इनको पद संभालने के बाद पूरे शहर में अवैध निर्माण बनाने में बड़े पैमाने पर तेजी आई है. यहा देखने वाली बात यह है कि महाराष्ट्र शासन निर्णय क्र निप्रआ -1111/प्र क्र 86 / 11 -अ प्रमाण के अनुसार जिस भी शासकीय अधिकारी / कर्मचारी विरुद्ध बेहिसाब संपत्ती प्रॉपर्टी, नैतिक अधःपतन, रिश्वतखोरी ,हत्या,या हत्या का प्रयास , बलात्कार ऐसे गंभीर मामले किसी पर भी फौजदारी मामले दर्ज हुए है और उन्हों इसकी वजह से निलंबित किया गया है और खटला / अपील / विभागीय चौकशी प्रलंबित होने के दरम्यान उसको पुनस्थापित करने निर्णय हुआ है तो ऐसे में ऐसे मामले के अधिकारी / कर्मचारी को ऐसा पद दिया जाय जहाँ पर अधिकारी का पब्लिक से जनसंपर्क या रिश्वत लेने की संभावना न बने ऐसे पदपर नियुक्ती दी जाय ऐसा महाराष्ट्र के जीआर में स्पष्ट लिखा है. ऐसे में मनपा के द्वारा ऐसे अधिकारी को मलाईदार पोस्ट देकर क्या साबित करना चाहती या इसके पीछे की मंशा भ्र्ष्टाचार को बढ़ावा देने का तो नही है क्यो गणेश शिंपी जिनकी मनपा में स्टेनोग्राफर इस पदपर नियुक्ती किया गया था यह पद एकांकी था इस पद पर काम करने वाले ब्यक्ति को दूसरा कोई पद कानून के हिसाब से नही दिया जा सकता है, ऐसे में अपने पद का इस्तेमाल कर रिश्वत लेते हुए रंगेहात पकड़ा गया है उसे शासन के जीआर के नियमो को ताख पर रखकर ऐसा मलाईदार पद देने की पीछे के कारण क्या है ! इनके प्रभाग अधिकारी पद पर बैठने के बाद से अवैध निर्माण का बड़े पैमाने से इतना स्पष्ट है कि रिश्वत का खेल कैसे हुआ है क्यो किसी काम पर कार्यवाई हुई भी तो फिर दूसरे दिन बनकर खड़े हो गए है . शिंपी का मामला न्यायलय में चल रहा है फिर कर्मचारियों की प्रमोशन यादि में इसका उल्लेख ही नही किया गया यह दर्शाता है कही क्लीन चिट देने का षणयंत्र नही किया गया है . जब इस मामले में मनपा आयुक्त गणेश पाटील से पत्रकारो ने सवाल किया तो उन्होंने इस विषय मे पत्रकारों के सामने मुख्यालय उपायुक्त संतोष देहरकर और सामान्य प्रशासन के वरीष्ठ लिपिक अच्युत सासे इनको पूछा ये कैसे हुआ ये दोनों ने इसका उत्तर में बताया कि प्रिंटिंग मिस्टेक की वजह ऐसा बताकर मामले को टालमटोल करने की कोशिश करते दिखे .इसके बाद आयुक्त ने पूरे मामले की जांच करके रिपोर्ट देनी बात देयरकर को कही है. अब सवाल यह है कि क्या ऐसे ब्यक्ति को मलाईदार पोस्ट पर बैठाने के पीछे मनपा के किसी बड़े अधिकारी की मिली भगत तो नही क्यो इस पद के जरिये पूरे शहर के अवैध बांधकाम से मोटी आमदनी होती है यह भी सत्य है क्यो इससे पहले मनपा की महासभा इस पद को लेकर भ्र्ष्टाचार को लेकर बड़ा हंगामा हो चुका है !
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