स्वेतपत्रिका निकालने वाले मनपा आयुक्त देशमुख पर लगा 5 करोड़ के भ्रष्ट्राचार आरोप ?
सड़कों के गड्ढों को भरने के काम को 5,2,2 में पांच करोड़ रुपए वर्क आर्डर देने से जुड़ा है मामला !
सत्ता व विपक्ष के सभी लोगो 5,2,2 के इस काम किया विरोध !
ईमानदारी की आड़ में भ्रष्टाचार मनपा आयुक्त के संरक्षण में हुआ - ईदनानी
इस विषय पर जीवन ईदनानी, राजेन्द्र चौधरी व अरुण आशास ने क्या कहा सुनिये उनकी जुबानी,,,,,,,
उल्हासनगर- उल्हासनगर मनपा की स्थायी समिति ने मनपा के 4 प्रभाग क्षेत्रों में गड्ढों को भरने के लिए 2 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं फिर यह आंकड़ा 7 करोड़ तक कैसे पहुंच गया इस मुद्दे को भाजपा के नगरसेवकों ने मनपा की महासभा में जोरदार ढंग से उपस्थित किया. वही भाजपा के नगरसेवकों ने इस भ्रष्टाचार में सीधे आयुक्तों को निशाना बनाया है, मनपा आयुक्त जैसे ही मनपा का चार्ज लिया उसके कुछ दिनों बाद मनपा की खस्ता हालात पर स्वेतपत्रिका निकाल कर अपनी ईमानदारी का सबूत दिया था,परन्तु रोड़ के गड्ढों भरने के मामले में इन पर ही भ्रष्ट्राचार का बड़ा आरोप हुआ है,
गौरतलब हो हर साल की तुलना में इस साल भारी बारिश के कारण, उल्हासनगर शहर में 70 किलोमीटर की पक्की सड़कों पर काफी गड्ढे हो गए थे. इन गड्ढों को लेकर काफी हो हल्ला हुआ था. इन सड़कों पर मनपा ने बरसात के मौसम में ग्रिड और गिट्टी डालकर इसी तरह इससे निजात दिलाने की कोशिश की थी. मानसून के अंत में स्थायी समिति ने सभी 4 प्रभाग में गड्ढों को भरने के लिए 50 - 50 लाख की चार निविदाएं निकाली. इस काम का ठेका जेड पी कंपनी ने लिया था इसमें 16 सड़कों का चयन किया गया था. महासभा में उक्त बात को लेकर आपत्ति दर्ज कराते हुए सदन में कहा कि 2 करोड़ का कार्य साढ़े 7 करोड़ कैसे व क्यों हो गया इसका जिम्मेदार कौन है. इदनानी के इन आरोपों का भाजपा के मनोज लासी, प्रदीप रामचंदानी, किशोर वनवारी, प्रकाश नाथानी आदि नगरसेवकों ने समर्थन किया.इस संदर्भ में जानकारी देते हुए, मनपा सिटी इंजीनियर महेश सितलानी ने बताया कि 16 सड़कों पर 65 प्रतिशत काम पूरा कर लिया है. तथा इस कार्य को स्थायी समिति द्वारा अनुमोदित किया गया था. हालांकि वह राशि में कम थी, इसी के कारण मनपा आयुक्त ने महाराष्ट्र नगरपालिका अधिनियम 73 ए और डी, 5.2.2 के तहत बढ़े हुए काम को मंजूरी दी है. अदालत ने एक जनहित याचिका के तहत शहर के गड्ढों को भरने का भी आदेश दिया गया है. जिसके कारण सड़कों को जल्द से जल्द अच्छा व चलने योग्य बनाना था इसलिए काम को तेज गति से किया जा रहा है. मनपा के आयुक्त सुधाकर देशमुख ने प्रशासन का पक्ष रखते हुए सभागृह में बताया कि शासन द्वारा दिए गए अधिकार के तहत ही सड़कों का काम जो रहा है इसमें किसी भी प्रकार की कोई अनियमितता नहीं हैं. विधानसभा के चुनाव की आचार संहिता भी लगने वाली थी, शहर को गड्ढा मुक्त करने के लिए यह काम किया जा रहा है इसमें रत्ती भर भी भ्रष्टाचार नहीं हुआ है. लेकिन 2 करोड़ के ठेके को 7 करोड़ तक पहुचाने के खुद 5,2,2 के तहत काम की बढ़ी लागत पर काम करना कही न कही भ्रष्टाचार होने संभावना को जन्म देना स्वाभाविक है, स्वच्छ छबि के आड़ में यह भ्रष्टाचार आयुक्त देशमुख के देखरेख में हुआ ऐसा आरोप सत्ता व विपक्षी पार्टियों के नगरसेवकों ने किया है,इस पर जीवन इदनानी,अरुण आशास, व राजेन्द्र चौधरी ने क्या कहा सुनिये उनकी जुबानी,,,,,,
सड़कों के गड्ढों को भरने के काम को 5,2,2 में पांच करोड़ रुपए वर्क आर्डर देने से जुड़ा है मामला !
सत्ता व विपक्ष के सभी लोगो 5,2,2 के इस काम किया विरोध !
ईमानदारी की आड़ में भ्रष्टाचार मनपा आयुक्त के संरक्षण में हुआ - ईदनानी
इस विषय पर जीवन ईदनानी, राजेन्द्र चौधरी व अरुण आशास ने क्या कहा सुनिये उनकी जुबानी,,,,,,,
उल्हासनगर- उल्हासनगर मनपा की स्थायी समिति ने मनपा के 4 प्रभाग क्षेत्रों में गड्ढों को भरने के लिए 2 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं फिर यह आंकड़ा 7 करोड़ तक कैसे पहुंच गया इस मुद्दे को भाजपा के नगरसेवकों ने मनपा की महासभा में जोरदार ढंग से उपस्थित किया. वही भाजपा के नगरसेवकों ने इस भ्रष्टाचार में सीधे आयुक्तों को निशाना बनाया है, मनपा आयुक्त जैसे ही मनपा का चार्ज लिया उसके कुछ दिनों बाद मनपा की खस्ता हालात पर स्वेतपत्रिका निकाल कर अपनी ईमानदारी का सबूत दिया था,परन्तु रोड़ के गड्ढों भरने के मामले में इन पर ही भ्रष्ट्राचार का बड़ा आरोप हुआ है,
गौरतलब हो हर साल की तुलना में इस साल भारी बारिश के कारण, उल्हासनगर शहर में 70 किलोमीटर की पक्की सड़कों पर काफी गड्ढे हो गए थे. इन गड्ढों को लेकर काफी हो हल्ला हुआ था. इन सड़कों पर मनपा ने बरसात के मौसम में ग्रिड और गिट्टी डालकर इसी तरह इससे निजात दिलाने की कोशिश की थी. मानसून के अंत में स्थायी समिति ने सभी 4 प्रभाग में गड्ढों को भरने के लिए 50 - 50 लाख की चार निविदाएं निकाली. इस काम का ठेका जेड पी कंपनी ने लिया था इसमें 16 सड़कों का चयन किया गया था. महासभा में उक्त बात को लेकर आपत्ति दर्ज कराते हुए सदन में कहा कि 2 करोड़ का कार्य साढ़े 7 करोड़ कैसे व क्यों हो गया इसका जिम्मेदार कौन है. इदनानी के इन आरोपों का भाजपा के मनोज लासी, प्रदीप रामचंदानी, किशोर वनवारी, प्रकाश नाथानी आदि नगरसेवकों ने समर्थन किया.इस संदर्भ में जानकारी देते हुए, मनपा सिटी इंजीनियर महेश सितलानी ने बताया कि 16 सड़कों पर 65 प्रतिशत काम पूरा कर लिया है. तथा इस कार्य को स्थायी समिति द्वारा अनुमोदित किया गया था. हालांकि वह राशि में कम थी, इसी के कारण मनपा आयुक्त ने महाराष्ट्र नगरपालिका अधिनियम 73 ए और डी, 5.2.2 के तहत बढ़े हुए काम को मंजूरी दी है. अदालत ने एक जनहित याचिका के तहत शहर के गड्ढों को भरने का भी आदेश दिया गया है. जिसके कारण सड़कों को जल्द से जल्द अच्छा व चलने योग्य बनाना था इसलिए काम को तेज गति से किया जा रहा है. मनपा के आयुक्त सुधाकर देशमुख ने प्रशासन का पक्ष रखते हुए सभागृह में बताया कि शासन द्वारा दिए गए अधिकार के तहत ही सड़कों का काम जो रहा है इसमें किसी भी प्रकार की कोई अनियमितता नहीं हैं. विधानसभा के चुनाव की आचार संहिता भी लगने वाली थी, शहर को गड्ढा मुक्त करने के लिए यह काम किया जा रहा है इसमें रत्ती भर भी भ्रष्टाचार नहीं हुआ है. लेकिन 2 करोड़ के ठेके को 7 करोड़ तक पहुचाने के खुद 5,2,2 के तहत काम की बढ़ी लागत पर काम करना कही न कही भ्रष्टाचार होने संभावना को जन्म देना स्वाभाविक है, स्वच्छ छबि के आड़ में यह भ्रष्टाचार आयुक्त देशमुख के देखरेख में हुआ ऐसा आरोप सत्ता व विपक्षी पार्टियों के नगरसेवकों ने किया है,इस पर जीवन इदनानी,अरुण आशास, व राजेन्द्र चौधरी ने क्या कहा सुनिये उनकी जुबानी,,,,,,
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