नागरिकता संशोधन विधेयक हुआ बहुत से पास !
उल्हासनगर सिंधी समुदाय इस विधेयक से होगा फायदा या नुकसान !
उल्हासनगर सिंधी समाज के नेता मनोज लासी व प्रदीप रामचंदानी ने क्या कहा सुनिये उन्ही की जुबानी,,,,,,
उल्हासनगर-उल्हासनगर नागरिकता संशोधन विधेयक (Citizenship Amendment Bill) को संक्षेप में CAB भी कहा जाता है और यह बिल शुरू से ही विवाद में रहा है. सारे विवादों के बावजूद बुधवार को बिल दोनो सदनों में बहुमत से पास हो गया है, वही इस विधेयक पर उल्हासनगर के सिंधी समाज के लोगो क्या कहे सुनिये उन्ही की जुबानी,,,,,
विधेयक पर विवाद क्यों है, ये समझने के लिए इससे जुड़ी कुछ छोटी-छोटी मगर महत्वपूर्ण बातों को समझना ज़रूरी है. नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 क्या है? इस विधेयक में बांग्लादेश, अफ़गानिस्तान और पाकिस्तान के छह अल्पसंख्यक समुदायों (हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई और सिख) से ताल्लुक़ रखने वाले लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव है. मौजूदा क़ानून के मुताबिक़ किसी भी व्यक्ति को भारतीय नागरिकता लेने के लिए कम से कम 11 साल भारत में रहना अनिवार्य है. इस विधेयक में पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों के लिए यह समयावधि 11 से घटाकर छह साल कर दी गई है. इसके लिए नागरिकता अधिनियम, 1955 में कुछ संशोधन किए जाएंगे ताकि लोगों को नागरिकता देने के लिए उनकी क़ानूनी मदद की जा सके. मौजूदा क़ानून के तहत भारत में अवैध तरीक़े से दाख़िल होने वाले लोगों को नागरिकता नहीं मिल सकती है और उन्हें वापस उनके देश भेजने या हिरासत में रखने के प्रावधान है.
उल्हासनगर सिंधी समुदाय इस विधेयक से होगा फायदा या नुकसान !
उल्हासनगर सिंधी समाज के नेता मनोज लासी व प्रदीप रामचंदानी ने क्या कहा सुनिये उन्ही की जुबानी,,,,,,
उल्हासनगर-उल्हासनगर नागरिकता संशोधन विधेयक (Citizenship Amendment Bill) को संक्षेप में CAB भी कहा जाता है और यह बिल शुरू से ही विवाद में रहा है. सारे विवादों के बावजूद बुधवार को बिल दोनो सदनों में बहुमत से पास हो गया है, वही इस विधेयक पर उल्हासनगर के सिंधी समाज के लोगो क्या कहे सुनिये उन्ही की जुबानी,,,,,
विधेयक पर विवाद क्यों है, ये समझने के लिए इससे जुड़ी कुछ छोटी-छोटी मगर महत्वपूर्ण बातों को समझना ज़रूरी है. नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 क्या है? इस विधेयक में बांग्लादेश, अफ़गानिस्तान और पाकिस्तान के छह अल्पसंख्यक समुदायों (हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई और सिख) से ताल्लुक़ रखने वाले लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव है. मौजूदा क़ानून के मुताबिक़ किसी भी व्यक्ति को भारतीय नागरिकता लेने के लिए कम से कम 11 साल भारत में रहना अनिवार्य है. इस विधेयक में पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों के लिए यह समयावधि 11 से घटाकर छह साल कर दी गई है. इसके लिए नागरिकता अधिनियम, 1955 में कुछ संशोधन किए जाएंगे ताकि लोगों को नागरिकता देने के लिए उनकी क़ानूनी मदद की जा सके. मौजूदा क़ानून के तहत भारत में अवैध तरीक़े से दाख़िल होने वाले लोगों को नागरिकता नहीं मिल सकती है और उन्हें वापस उनके देश भेजने या हिरासत में रखने के प्रावधान है.
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